अंदाज़ देखे बोहत मगर कोई उनसा नहीं था
कितना दिलपर है असर मुझे अंदेसा नहीं था
कुछ तो रही होगी अलग बात फागुनमें अबकी
रंग जो खिला है गालों पर पेहले ऐसा नहीं था
वो जब भी ख़यालोंमे आया, गीत बनकर आया
गुनगुनाया उसे सदा मगर कभी लिक्खा नहीं था
चारागर वो कमाल, जाने कैसे कर रहा इलाज
तुम आशिक़ हो या बीमार कभी पूछा नहीं था
थक गया हूँ सफरमें घूमते, नये नज़ारोंको देखते
किसी पुराने मंज़रक़ा इंतज़ार मुझे ऐसा नहीं था
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