ऐसा क्या है जो ये हो नहीं सकता
हूँ इंसान मैं भी, क्यों रो नहीं सकता
तेरा ग़म है तुझसे ज़्यादा अज़ीज़
तुझे खो दिया, इसे खो नहीं सकता
कुशल तैराक हूँ, येही सोच कूदे थे ना
क्या लगा, इश्क़, मुझे डुबो नहीं सकता
आँखोंके दरियामें उसके सयाने हुए गुम
मैं तो फिर दीवाना, क्यूँ खो नहीं सकता
बेवफा केह दिया ज़रासी नाराजगीमें मुझे
रूह पे लगाया है दाग, ये धो नहीं सकता
जवाब उनके भी हैं, सवाल जो पूछे ही नहीं
दिल पर इतना बोझ, अब ढो नहीं सकता
मेरा हो ना हो, खुश वो सदा रहे, दुआ मेरी
यदि भाव ये ना हों तो वो प्रेम हो नहीं सकता
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