इस कहानी का कोई अंजाम उनसे पूछना
ना पूछना मेरी खबर ना नाम उनसे पूछना
जो चुप रहें वो भेद मनका जान ही तो जाओगे
फिर हैं कैसे दिन क्यों कैसी शाम उनसे पूछना
काले रंग की डायरीमें अब तलक छुपाये हैं
किस दीवानेने लिक्खे पयाम उनसे पूछना
शेर जिसके गुनगुनाते रेहते हो दिनरात तुम
दोगे उस कविको क्या इनाम उनसे पूछना
वक़्त सारा खो दिया, इक इश्क़की तलाशमे
कैसा नाकारा हूँ क्यों बदनाम उनसे पूछना
आया नहीं बाज़ारमें हमें बेचना अपना हुनर
राज क्यूँकर रेह गया गुमनाम उनसे पूछना
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