जीवन कुछ ऐसा हो जैसे बहता पानी,
उड़ते पंछी या कोई बादल
बिना अवरोध चला जाए
अपनी मस्ती में हर पल
काश की संभव हो हम खुद को छुपा लें
किसी कोने में विश्व के जहां,
ना कोई सम्बन्ध ना साथी,
बस हम हों केवल
हो नीरव शांति,
ध्वनि ना हो मनुष्यों की
ना वाहनों का कोलाहल
सिर्फ हो तो हम हों,
तनहा अकेले जीवन जीते हुए
परन्तु ऐसा होगा नहीं हम जानते हैं,
संसारी मन को पहचानते हैं
इसी लिए तो बह रहे हैं प्रवाह में,
एक ऐसे पल की चाह में;
की जब जीवन दस्तक दे द्वार पर,
हम ना हों - कोई भी उत्तर ना हो
और वोह परेशां हो कर लौट जाए
Quite thoughtful and mature write up
ReplyDeleteThank you dear
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