मेरे शौख, मेरे ऐब, मेरी लत हैं ये
छुड़ाए नहीं छूटती वो आदत हैं ये
बड़ी जागीर कोई नहीं जुटाई मैंने
संजोई जीवनभर वो दौलत हैं ये
चाहते हो ढूंढना खुदको अगर तुम
पेहली और आखिरी ज़रूरत हैं ये
कई रंगके किरदार जीये मैंने इनमे
कभी हवस हैं कभी इबादत हैं ये
चंद पन्नोंमे संसार छुपाये रेहती हैं
मेरी सबसे अज़ीज़ विरासत हैं ये
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