राम कहानेको कर्त्तव्य निभाना पड़ता है
कर्मोंसे खुदको भगवान बनाना पड़ता है
नहीं गूंजते रेहते हैं नाम यूँ ही सदियों तक
वक़्त पड़े तो पत्थर पानीपे तैराना पड़ता है
पर्वत उठा लेनेवाले खुद ही सेवक बन जाएँ
किरदारको ऐसा असरदार बनाना पड़ता है
हर युगमें भीषण संघर्ष उठाना पड़ता है
राम होनेके लिए वनवास जाना पड़ता है
पहाड़ चीर कर नदियां लाते होंगे लोग
प्यारमे सागर पर बाँध बनाना पड़ता है
यत्र नारी पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता, पर्याप्त नहीं
सीताका हो अपमान तो लंका जलाना पड़ता है
राम हो तो दुखियोंका साथ निभाना पड़ता है
खुद जाकर सुग्रीवको हाथ थमाना पड़ता है
कौन जाने किस समय कौन काम आ जाये
गीद्ध, निशाचर, वानरोंको साथ मिलाना पड़ता है
केवल मुकुट रखनेसे विभीषण राजा नहीं होता
संकल्प पुष्टिको युद्धमे रावण हराना पड़ता है
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