उदास लड़के कहाँ मिलेंगे?
मिलेंगे वो भीड़मे तनहा से
अजनबीयोंमे एक दोस्त खोजते
लाइब्रेरी के बाहरके गार्डन में
किताबोंके पन्ने पलटते हुए
क्लासकी बीच वाली बेंच पर
नोट्स लिखते कभी यूँ ही बैठे
किसी नज़र के मुस्कुरानेका
इंतज़ार करते हुए
जगजीतकी गज़लोंको सुनते
गूगल पर शेरके अर्थ खोजते
कविता पढ़ते, सुनते कुछ अपना
लिखने की कोशिश करते हुए
आगे बढ़कर सबके काम आते हुए
कभी कभी बेवजह मुस्कुराते हुए
उदास आंखोंमे झूठी हंसी लाते हुए
अनजान पोस्टपर कविता बनाते हुए
मिल जायेंगे उदास लड़के
अनदेखा कर देना उन्हें, मुंह ना लगाना
बोहत गहरे हैं, संभलना, डूब ना जाना
Comments
Post a Comment