खुदसे ही खूब बातें बना लेते हैं
तन्हाईमे दिल कुछ ऐसे लगा लेते हैं
घंटों उनके नाम को ताकते रहते हैं
शामें यूँ ही इन्तेज़ारमें बीता लेते हैं
एक तस्वीर उनकी पसंद आयी थी पिछले दिनों
बार बार नज़रें उस पर घुमा लेते हैं
और के होकर भी वो दोस्त तो हैं मेरे
समझाते हैं ऐसे और मन को मना लेते हैं
देख उनके हुस्न को बेहक तो जाते हैं मगर
ज़ज़्बातों पर बाँध अपने बना लेते हैं
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