चमचोंका उसके शोर है बोहत, झूठोँका यहाँ बोलबाला है
शिकवे भी ठीकसे करने नहीं देता, दुश्मन बड़ा रसूख वाला है
घर मेरा है जला तो टीस भी मुझको ही होगी
दोस्त ही तो थे की आगमें जिन्होंने घी डाला है
बेवजह बात बनाना कभी आया नहीं हमें
जो दिलमें था ज़ुबाँसे केह डाला है
जवाब तो मेरे भी पास हैं, तीखे-तीखे, खरे-खरे
हद है शराफतकी मुँहपर अब तक ताला है
बड़ी जोरसे हंस रहे हैं सब लूटकर जानेवाले
साहूकारों ने उन्हें बड़ी शिद्दतसे संभाला है
बेहरोंने अर्ज़ियोंकी रख्खी है सुनवाई
चोर हैं चौकीदार, कुछ तो गड़बड़ घोटाला है
मेरी हालतका मज़ाक बनानेवालों सोच लो
पलटकर तुमपर भी कभी ये वक़्त आनेवाला है
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