दोस्त खो गए हैं, कोई मिला दो
सुबह होते ही जो घर पहुँच जाते थे
खींच खींच कर जो होली खिलाते थे
एक प्रिया स्कूटर पर जब चार समाते थे
हर घर मुँह धोते और फिर रंग लगाते थे
कहाँ गया वो वक़्त, जब लौट मेरे घर सभी
मालपुवे और पकोड़े दबाकर खाते थे
वो रंग, वो पकवान, वो उनका यार
इंतेज़ारमें अब भी बैठे हैं, बता दो
दोस्त खो गए हैं कोई मिला दो
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