भूल जाते हैं अपने घर का पता, लोग, उसकी तस्वीर देखकर
आज हम भी तो देखें है बात क्या, चलो, उसकी तस्वीर देखकर
कई मनसूबे, बदमाश इरादे, तमन्नाएँ दिलमें उमड़ने लगीं
होलीके दिन एक रंगोंसे भीगी, उसकी तस्वीर देखकर
नज़ारे कई हैं रौनकें ज़मानेमें, शबाब निग़ाहोंके आगे बोहत
नहीं लगता दिल और किसीमे अब, उसकी तस्वीर देखकर
कोयलें और भी सुरीली हो गयीं तितलियाँ नाज़ुक और भी
हो ना हो ये हुआ है सब, उसकी तस्वीर देखकर
वो पूछ रहे हालेदिल अपना, किन ख़यालोंमे खोये हैं हम
सारे जवाब खामोश हैं अब, उसकी तस्वीर देखकर
ये तो आलम है तडप का, बेचैनी का, इंतज़ार का
ताकने लगते हैं फिर उसे, उसकी तस्वीर देखकर
यूँ तो कई गज़लें उनसे हो कर निकली, उन तक जाने को
फिर भी हो जाता हूँ चुप हर बार, उसकी तस्वीर देखकर
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