ऐ दोस्त, कुछ याद है?
साथ बीते पल, कुछ याद है?
पुरानी तस्वीरोंसे कभी-कभी है झांकता
गुज़रा हुआ कल, कुछ याद है?
कंचों की छीना झपटी
और बेंत की बढ़ती लम्बाई
जीत-हार का लेन-देन
और रोज़ की लड़ाई
हिसाब में जमा कंचे कितने
कितनी उधारी, कुछ याद है?
भाड़ेकी साईकिलके हिस्से चार
मिनटों मिनटों की अलग रफ़्तार
आज तेरी कल मेरी मम्मीसे
रुपये का तकाजा बिनती बारबार
अंकल जो हमको फ्रीमें ही देते
खट्टी-मीठी टॉफ़ी, कुछ याद है?
स्कूलके बक्से में लट्टू लेजाना
विद्याके पत्तोंको किताबों में सजाना
फ्री किलासमें अंताक्षरी गाते
बेंचपर तबला और ढोलक बजाना
मुर्गा बनाकर पीठपर जो रखते
स्केल कितनी गिरायी, कुछ याद है?
बचपन बीता, आयी जवानी
नया सर्ग, पुरानी कहानी
नए यार, दौर था नया
तुमहुम कुछ बदले, कुछ ज़िंदगानी
कितनी दोस्ती नयी बनी थी
कितनी खों दीं, कुछ याद है?
पेहली मोहब्बत में दीवाना होना
साथ लगाए जिस गली के चक्कर
इज़हार का डर, बांटा था कैसे
गम इंकार का भी झेला था अक्सर
चिट्ठियां कितनी किसको मिली थी
कितनी लिखी थी, कुछ याद है?
दिल का टूटना आँखोंका बहना
कभी तेरा कभी मेरा बेहकना
इन्क़लाबी शायरी सुन या प्यारके नगमों से
कभी तेरा कभी मेरा धड़कना
कितनी जंग इश्क़में छिड़ीं थी
कितनी सियासी, कुछ याद है?
इम्तेहानों से ज़्यादा नतीजों का डर
अपने सफरमें ये मीलके पत्थर
बिछड़े फिर सब अलग हुई डगर
एक दोस्त इधर एक उधर
कितनी चाहतें दूरियों ने तोड़ी
कितनी भुला दीं, कुछ याद है?
पेहली नौकरी की पेहली कमाई
मुट्ठी भर पैसों की बांह भर उड़ाई
मल्टीप्लेक्स में फिल्म, मेकडी में बर्गर
ब्रांडेड जीन्स उसने मैंने वॉच दिलाई
पहली बाइक किसने ली थी
किसने थी चलायी, कुछ याद है?
दोस्तकी शादीमें सबका फिर मिलना
करनी शरारतें, नाचना, उछलना
बैठ रातमें छेड़ना किस्से
दोहराई बातोंमे नए रंग निकलना
छुपाकर बैठे थे जो दूल्हे की साली से
जूते की चुराई, कुछ याद है?
सफरके सारे प्लान जोड़ों से बनते
कुंवारे दोस्त जिनमे जबरन घुसते
भाभी को गर्लफ्रेंड की दोस्त बनाकर
घरसे निकालनेके जुगाड़ रचते
टूटा दिल लेकर दोस्त के सोफेपर
राते जो गुज़ारी, कुछ याद है?
धीरे धीरे ज़िन्दगी तेज़ हो चली
पेट बढ़ा और वक्त कम
इतवार की मुलाकात वाट्सएप पर हो चली
बच्चे बड़े और व्यस्त हम
तसल्लीसे जब बैठे जिनका ज़िक्र हुआ था
माज़िकि रुसवाई, कुछ याद है?
खुश खबरें अब मोबाइल से मिलतीं
फेसबुक पर जन्मदिन विश कर देते
नए घर, कार या जन्मदिन की फोटो में
दोस्तों को अब टैग कर देते
मिलते केवल तनाव या मुश्किलमे
ग़म की है साझेदारी, कुछ याद है?
ख्वाब हसीं देखे जो मिलकर
रातों को जागकर जो बुने थे सपने
मंज़िलें जो हासिल करनी थी मिलकर
तसव्वुरमें सफर, कितने थे अपने
मिला क्या अब तक और क्या रह गया
चाहतें हैं जो बाकी, कुछ याद है?
चल फिर तमन्नाओं की उड़ानें भरें
नए चित्र में कुछ रंग भरें
न कर सकने के अफ़सोस से पहले
भरपूर कोशिश मिलकर करें
शरारतें ज़िन्दगी में कितनी और होंगी
कितनी बची जवानी, कुछ याद है?
Virtually it opened childhood's Pandora's box, so many relavent memories
ReplyDeleteTHanks buddy
DeleteSuperb rajendra bhai 👍👍
ReplyDeleteThank you
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