हवामें उड़ती हुई एक खुशबु
कुछ कह गयी मुझे,
अफसाना सुनाया न कोई, न
बात की कोई,
फिरभी छेड़कर दिलके तार
संगीत सुनाया कोई
भर गई है साँसोंमें या
रूहमें समां गयी वो
ज़मीं पर हो आसमां
वैसे छा गयी वो
थी न कोई ज़रूरत
न अरमां उसका
पर यूँ लगा की बना है
सारा जहाँ उसका
हर शय में वो नज़र आती है
हर साँसमें वो गाती है, की
आओ मेरे प्रिय और
ले जाओ अपने संग
दूर सबसे दूर जहां
हो जहाँ का अंत
रहें वहां सिर्फ मैं और तुम
सारे रिश्ते, सारी तमन्नाएँ
हो जाएँ जहां गुम
तुम बनो धड़कन मेरी
मैं सांस हूँ तुम्हारी
सुनने की उसकी बातें
चाह रह गयी मुझे
हवामें उड़ती हुई खुशबु
यही कह गयी मुझे
Nice one..
ReplyDeleteCollege days mein sab kavi the :)
Deleteअतिसुंदर, अपने मन की भावनाओ एवं विचारो को बांधकर मत रखो। उसे शब्दो का रूप देकर, चौतरफ फैला दो। ए दोस्त, अपने प्रयास को जारी रखो।
ReplyDeleteKhub dhanyawad :)
DeleteNice
ReplyDeleteThank you
DeleteThank you
ReplyDeleteKumar vishwas's competitor..nice one
ReplyDeleteWow . Very Nice 👌
ReplyDeleteThank you
DeleteDear Rajendra , Very nice From Sunilkumar SHARMA
ReplyDeleteThank you sharma ji
DeleteVery nice
ReplyDeleteThank you
DeleteNice one bhai
ReplyDeleteThanks buddy
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