दीप जल रहे, नयी रौशनी लो छायी है
बाद एक साल ऋत उत्सवोंकी आयी है
ज़मानेभरकी हर ख़ुशी आ सामने बैठी मेरे
एक हसीन लड़की जब सँवरके मुस्कुरायी है
रंग कुछ बदल रहा फ़िज़ाका चारों ओर है
सुना रहा है गीत ये पटाखोंका जो शोर है
जल चुकी फुलझड़ियां, अनार, चकरी चल चुके
आँगनमे मेरे आके रंग रंगोलियोंमे ढल चुके
घर, गली, नगर, शहर, की हर डगर सजाई है
झपटके, माँजके सारी मैल भी हटाई है
सियाराम लौट आये तबसे हर बरस मनाई है
हमको, तुमको, सबको दीवालीकी बधाई है
गले मिले यारोंके हम मुद्दतोंके बाद हैं
दोहराई फिर सभीने भूली बिसरि याद हैं
पुराने चुटकुले और कुछ पुरानी गालियाँ
बेसुरे गीतों पर फिर जोरकी वो तालियॉँ
फिर पुराने खेल, खींच तान और लड़ाइयाँ
ढेरों हैं ठहाके, कुछ गीले भी और रुस्वाइयाँ
रखके हाथ कन्धोंपे तस्वीरोंका खींचना
भरके बाहोंमे एक दूसरेको भींचना
ये क्या लडकपना, कैसी बचकानी ये हरकतें
दोस्तोंसे मिल नयी शरारतोंमे शिरकतें
बाद कई सालोंके रात ऐसी आयी है
नये साल और दिवाली की मित्रों, बधाई है
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