Skip to main content

માંજરી આંખોંમાં મન મારું ખોવાઈ ગયું

માંજરી આંખોંમાં મન મારું ખોવાઈ ગયું 
દિલ નો'તું દેવું તને તોય દેવાઈ ગયું 

શબ્દ એક પ્રેમનો સુણ્યો તો અર્થ જાણ્યો નહિ 
તારી નજરોએ કર્યો સંદેશ પહેચાણયો નહિ 
પત્ર જો તારો મળ્યો તો સમજાયું મને 
પ્રેમ ના તાંતણે દિલ આપણું બંધાઈ ગયું 

રોજનો સાથ તારો-મારો રોજનો આ સફર 
હાસ્ય હોઠોંપર રમતું આંખથી મળતીજો નજર 
કોઈ બહાને મને બોલાવ્યો, વાત છેડી પછી 
હું કોણ, નામ મારુ શું, ભુલાઈ ગયું 

હાથમાં હાથ તારો આવ્યો, હું સળગી રહ્યો 
પ્રેત એક પ્રેમનો મળ્યો, મને વળગી રહ્યો 
રજાનાં દિવસે તને જોવા તારી ગલીમાં ગયો 
સાન ને ભાન તને જોઈ ને વિસરાઈ ગયું 

થયો નારાજ કોઈ વાતથી, દિલ દુઃખાયું હતું 
હૃદયના દર્દથી નીકળ્યું, કાવ્ય લખાયું હતું 
દુપટ્ટો તારો મારી બાહોંમાં વીંટાળાયો પછી 
રિસામણાં નું દરેક કારણ ભુલાઈ ગયું 

પ્રથમ આ પ્રેમનું ચુંબન, અધરોને મળ્યું 
પ્રથમ આ કાવ્યનું લેખન, શબ્દોને ફળ્યું 
છે વરસાદની મૌસમ અને એકાંત અહીં 
હૃદય પર તું, નામ બસ તારું લખાઈ ગયું 

ચોરી ચોરી થી મને મળવા ફરી આવી ગયી 
મનમાં મેહક તારા નામની ફેલાવી ગયી 
સોનેરી રેશમી ઝૂલ્ફોંથી ચાંદ ઢંકાઈ ગયો 
આંખનું કાજળ પરોઢિયે સાવ ભૂંસાઈ ગયું 

થયાં જુદાં પણ હજીય મનથી જોડાયા છીએ 
પ્રેમના ચક્કરમાં હજી બેય સપડાયા છીએ 
રસ્તે ચાલતાં કોઈ વાર તું મળે જો મને 
સૌથી ચોરાઈને એક સ્મિત તને અપાઈ ગયું 

Comments

Popular posts from this blog

कभी ना थे.....

हालात इतने बदतर कभी ना थे  दिलों पे पत्थर कभी ना थे  माना की आप दोस्त नहीं हमारे दुश्मन भी मगर कभी ना थे  लाख छुपाएं वोह हाले दिल हमसे  अनजान मन से हम कभी ना थे ग़म का ही रिश्ता बचा था आखिर  ख़ुशी के यार हम कभी ना थे  कौन हौले से छू गया मन को  नाज़ुक अंदाज़ उनके कभी ना थे चीर ही देते हैं दिल बेरहमीसे  बेवजह मेहरबान वोह कभी ना थे  नज़रों की बातों पे भरोसा करते हैं  शब्दों के जानकार तो कभी ना थे  बिन कहे अफसानों को समझ लेते हैं  लफ़्ज़ों के मोहताज कभी ना थे  सामने तो अक्सर आते नहीं गायब सरकार मगर कभी ना थे याद ना करें शायद वोह हमें  भुलने के हक़दार मगर कभी ना थे 

हो सकता है

प्यार करलो जी भरके आज ही,  कल बदल जाएँ हम-तुम हो सकता है ज़िन्दगी पकड़लो दोनों हाथोंसे,  वक़्त इस पल में ठहर जाये हो सकता है जो बीत चूका वो ख़यालों में अब भी ज़िंदा है  पहली मुलाक़ात और सफ़ेद जोड़ेमें सजी तुम  बंद होते ही आँखें देख लेता हूँ, पलंग पर बैठे  और गुलाब की खुशबु से महकती हुई तुम यादों से मेरी तुम चली जाओ कभी ना होगा  मैं खुद ही को भूल जाऊँ हो सकता है  दो थे हुए एक, जिंदगीके सफरमें हम  तस्वीरोंको नए रंग मिले जब तुमसे मिले हम  फुलवारीमें खिले नए फूल, तुम्हारी मुस्कान लिये मकान घर बन गए, जब तुमसे मिले हम  बैठ फुर्सतमें टटोलें पुराने किस्से, और हम उन्हींमें लौट जाएँ हो सकता है   बरसों की कश्मकशने बदल दिया है चेहरे को रंग रूप भी जिंदगीके साथ घट-बढ़ गए हैं  जो लहराते थे खुल के हवाओं में, घटाओं से  तुम्हारी साडीके नीचे जुड़े में बंध गए हैं  सुबह सुबह उन भीने केशों को तुम खोलो  और सावन आ जाये हो सकता है मैं और भी बदलूंगा आने वाले वक़्त में तुम भी शायद ऐसी नहीं रहोगी जिम्मेदारियां घेरेंगी और भी हमको बच्चोंकी फरम...

सफ़र...

हर सफ़र जो शुरू होता है, कभी ख़त्म भी होना है  हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है  मिलकर के बिछड़ना, फिर बिछड़कर है मिलना;  ये प्यार की मुलाकातें, हैं इक सुहाना सपना  हर रात के सपने को, सुबह होते ही खोना है;  हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है  है याद उसकी आती जिसे चाहते भुलाना;  दिलके इस दर्द को है मुश्किल बड़ा छुपाना  ऐ दिल तू है क्या, एक बेजान खिलौना है;  हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है  परवाने हैं हम किस्मत, हस्ती का फना होना;  पाने को जिसे जीना, पाकर है उसको मरना  हर शाम इसी शमा में जलकर धुआं होना है,  हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है  चंद लम्हों की ज़िन्दगी है मोहब्बत के लिए कम  किसको करें शिकवा, शिकायत किससे करें हम  हिज्रकी लम्बी रातों में यादोंके तकिये लिए सोना है हर हँसते चेहरे को इक बार, ग़में इश्क़ में रोना है  बेख़यालीमे अपनी जगह नाम उनका लिक्खे जाना  दीवाने हो गए फिर आया समझ, क्या होता है दीवाना  जूनून-ऐ-इश्क़से तरबतर दिलका हर ए...