जीवन के अँधियारेमे एक ज्योत सी तुम
धुप से झुलसे मन पर बारिश की बूँद
दूर खड़ा तुम्हारी छब निहारता रेहता हूँ
प्यार है या वासना, जान नहीं पाता हूँ
आकर्षण है हर तस्वीर में, खिंचा जाता हूँ
नहीं संभव तुमको पाना, ये पता है मुझे
फिर भी कल्पना करने से रोक नहीं पाता हूँ
की ऐसे ही खिड़की के पास, बाल खोले बैठी हो
अदरक वाली गर्म चाय तुम्हारे सामने और
मैं उन काले-लम्बे बालों को सेहलाता हूँ
आँखें बंद कर बैठो और देखने दो ये सपना
सर्दी की मखमली धुप सी मुझसे लिपटी तुम
निरीह ह्रदय में चाहतों का तूफ़ान उठाती तुम
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