नाम उनका अचानक सुनाई दिया
नंबर अनायास कहीं दिखाई दिया
नाज़ुक लम्हें यादों में ताज़ा हो गए
व्हाट्सप्प पर जब उसने रिप्लाई दिया
बातें फिर हुई शुरू दो-चार
कुछ गीले शिकवे थोड़ी तकरार
सब मसले खुद ही हल हो गए
वीडियोकॉल पर जब चेहरा दिखाई दिया
वादे किये जल्द ही मिलने के
ज़ुल्फ़ोंमें उलझनेके बाहोंमे घुलने के
दिलको चैन मिला तब जाकर जब
ट्रैन का रिजर्वेशन अप्लाई किया
आ ही गए आखिर शहर में मेरे
मजबूरियां हैं कुछ लगे हैं पेहरे
छुप छुप कर करनी पड़ती हैं बातें
मौके खोजकर मैसेजमें हाई किया
बहाने बनाये लाखों बेजीस कवर किये
डेट फिक्स और प्लेसीस डिस्कवर किये
छुपते छुपाते पहोंचे मुझतक, गाड़ीमे बैठे
शरारतसे मुस्काई, बालों को अनटाई किया
कुछ घंटे चंद लम्हों से बीत गए
कुछ हम हारे कुछ वो जीत गए
न रुक सकते थे न जाने का मन था
भीगी पलकोंसे मुझको गुडबाय किया
हर मुलाकातमें प्यास बुझती बढ़ती रहती
हमें कम लगता वक़्त वो देर हो रही कहती
जल्द ही लौटने की घडी आ पहुंची उनकी
लास्ट मुलाकातकी रिक्वेस्टको खुशीसे कम्प्लाई किया
फिर जा चुके हैं वो अपने ठिकाने
यादोंके के सहारे हमें दिन हैं बिताने
वेकेशनका वादा और मैसेज न कर पानेकी माफ़ी
दोनों बातोंने हमको टंगटाई किया
Comments
Post a Comment