नौ दिन तक संघर्ष चला है
नौ दिन भीषण संग्राम
दशमी विजय की बेला है
जीत जायेंगे राम
जीत जाएंगे राम, और रावण हारेगा
प्रखर किरण भानु, सघन तम को मारेगा
रक्त टपकता खप्परमें असुरों के सिर से
गूंज रहा जयघोष काली का सत्यशिविर से
देवोँने किये जो रास निरंतर नौ रातों तक
माताने सुनी अरदास दुष्ट पर जय पाने तक
महिषासुर का है अंत
माई नवदुर्गा जीतीं
दुखकी अँधेरी रातें
अब जाकर के बीतीं
दहन करो दशानन का
राम के गुण गाओ
फाफड़ा लाओ ढेर सारे
जलेबीयाँ छनवाओ
नवरातों के तप-फल स्वरुप
दशहरा मनाओ
भीतर जो राक्षस बसता
आज फिर से हराओ
आलस्य मिटादो नाश करो तुम अहंकार का
भय का अंत और अंत सारे विकार का
शब्दों से नहीं कर्मों से आगे निकलो
निज विकासको मार्ग दुर्गम चुनलो
हो खुदसे यह संवाद की
किस योग्य बनोगे?
कौरव सम चीर हरण या
माधव सम चीर भरोगे
निश्चय करो दृढ, संकल्प बनालो
माँ अम्बा की विजय, रामकी जीत मनालो
पथ लो सतत परिश्रम का
निज सुधार के उपक्रम का
प्रेम सहित सबको अभिवादन
विजयादशमी के उत्सव का
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