है जो चाहत कुछ पाने की, करो करतब, करो कोशिश
बहाते स्वेद न अपना रक्त, मेहनत क्यों नहीं करते
नारों और किनारों का सहारा कब तक देखोगे
है करना पार दरिया तो ज़ुर्रत क्यों नहीं करते
न गोली से लड़ो लेकिन बोली से तो टक्कर लो
तुम्हारा है अगर ये मुल्क, हिफाज़त क्यों नहीं करते
माना सोच उनकी क्रूर हैं ज़ालिम तो डरते हो
गिरेबाँ तक आ गए हाथ, हरकत क्यों नहीं करते
अकेले हो तो सब को साथ लाने का करो कुछ यत्न
हराना कल जो है दुश्मन, निज़ामत क्यों नहीं करते
खोखले अदू के इरादे, कागज़ी हैं हौसले
एक लौ दरकार, ज़ेहमत क्यों नहीं करते
करना चाहते टुकड़े देशको तोडना गर वो
क्रांति ज्योति प्रगटा एक भारत क्यों नहीं करते
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