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One Day At A Time

Pain will be gone
Sweat will dry
You'll breath normal again
Will give it another try

Some soreness may come later
Some fatigue may manifest
All these symptoms may
Be cured with little rest

So, why should you worry
As you already know
The ache and the hurt are
Means to prosper and grow

They may say it's not working 
Your efforts are a waste
Mirror and scales may leave
Nothing but bitter taste

This is where you dig deep
Make a final stand
And hope to plow through rubble
To get to the other end

For there is no achievement
No substantial gain
That doesn't ask for commitment,
Perseverance and pain

Your goal may seem far
Steep may be climb
But each step takes you closure
One Day At A Time

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कभी ना थे.....

हालात इतने बदतर कभी ना थे  दिलों पे पत्थर कभी ना थे  माना की आप दोस्त नहीं हमारे दुश्मन भी मगर कभी ना थे  लाख छुपाएं वोह हाले दिल हमसे  अनजान मन से हम कभी ना थे ग़म का ही रिश्ता बचा था आखिर  ख़ुशी के यार हम कभी ना थे  कौन हौले से छू गया मन को  नाज़ुक अंदाज़ उनके कभी ना थे चीर ही देते हैं दिल बेरहमीसे  बेवजह मेहरबान वोह कभी ना थे  नज़रों की बातों पे भरोसा करते हैं  शब्दों के जानकार तो कभी ना थे  बिन कहे अफसानों को समझ लेते हैं  लफ़्ज़ों के मोहताज कभी ना थे  सामने तो अक्सर आते नहीं गायब सरकार मगर कभी ना थे याद ना करें शायद वोह हमें  भुलने के हक़दार मगर कभी ना थे 

हो सकता है

प्यार करलो जी भरके आज ही,  कल बदल जाएँ हम-तुम हो सकता है ज़िन्दगी पकड़लो दोनों हाथोंसे,  वक़्त इस पल में ठहर जाये हो सकता है जो बीत चूका वो ख़यालों में अब भी ज़िंदा है  पहली मुलाक़ात और सफ़ेद जोड़ेमें सजी तुम  बंद होते ही आँखें देख लेता हूँ, पलंग पर बैठे  और गुलाब की खुशबु से महकती हुई तुम यादों से मेरी तुम चली जाओ कभी ना होगा  मैं खुद ही को भूल जाऊँ हो सकता है  दो थे हुए एक, जिंदगीके सफरमें हम  तस्वीरोंको नए रंग मिले जब तुमसे मिले हम  फुलवारीमें खिले नए फूल, तुम्हारी मुस्कान लिये मकान घर बन गए, जब तुमसे मिले हम  बैठ फुर्सतमें टटोलें पुराने किस्से, और हम उन्हींमें लौट जाएँ हो सकता है   बरसों की कश्मकशने बदल दिया है चेहरे को रंग रूप भी जिंदगीके साथ घट-बढ़ गए हैं  जो लहराते थे खुल के हवाओं में, घटाओं से  तुम्हारी साडीके नीचे जुड़े में बंध गए हैं  सुबह सुबह उन भीने केशों को तुम खोलो  और सावन आ जाये हो सकता है मैं और भी बदलूंगा आने वाले वक़्त में तुम भी शायद ऐसी नहीं रहोगी जिम्मेदारियां घेरेंगी और भी हमको बच्चोंकी फरम...

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