प्रेम वाले जो कुछ पल भी मिल ना सकें
ऐसे नाम और शोहरत का क्या फ़ायदा
हो कलियाँ मगर फूल खिल ना सकें
ऐसे बाग़ और मौसम का क्या फ़ायदा
होठों की सुर्खी, आँखों का काजल
गालों की लाली, ज़ुल्फ़ की ये घटा
देख आहें लेने वाला आशिक़ ना हो
ऐसे सजने, सँवरने का क्या फ़ायदा
चुटकुले सब पढ़ो और मुसुका भी दो
करो फॉरवर्ड, लोगों को पहुंचा भी दो
साथ ज़ोरों से हंसने वाले यारों के बिन
दुनियाभर की मज़ाकों का क्या फ़ायदा
फ़ॉलोअर्स हो हज़ारों, लाखों भले
लाइक्स और शेयर चाहे बंटोरा करो
तन्हाई का गर कोई साथी ना हो
यश और ख्याति का क्या फ़ायदा
मंदिरोंमें भोज, दान करवाओ तुम
वस्त्र, धन और रोटी बँटवाओ तुम
पिता, माता और कुलको गर त्याग दो
धर्मके इन दिखावों का क्या फ़ायदा
दिया तुमको हुनर, लिए औरोंके था
ना तराशो जो तुम, तुम्हारी बला
पर छुपाकर रखो गर बस अपने लिए
भाव कवितामें लिखने का क्या फ़ायदा
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