हर माँ के मुखसे निकले नाम नन्द के लाला का
माखन चोरी मटकी फोरी नागशीश वो नाचा था
ब्रिजकी धूल सनी जिससे और हुई पावन पवित्र
उस मोहन कृश्न कन्हैयाको जन्मदिवस शुभकारी हो
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प्रेम कथाएं युगो युगों तक गाई जाती हो जिसकी
जिस संग रास खेलने को नारी रूप धरें शिवजी
राधे राधे में सिमटे जो रूकमणीके मनको भाए हों
उस गोपीनाथ गोपाला को जन्मदिवस शुभकारी हो
चाणूर पूतना कंस हते मधुसूदन कीव मुरारीने
केशी अरिस्ट निर्वाण किये यदुनंदन बांकेबिहारीने
अघ शकट व्योमा-वत्सा दुष्टों को नाथने वाले हैं
उस दामोदर गिरिधारी को जन्मदिवस शुभकारी हो
ब्रम्हा और इन्द्र भी घूम गए जिसकी माया के चक्कर में
मथुरा गोकुल या वृन्दावन है प्रेम मिला जिसे हर घर में
सांदीपनि आश्रममें साधा हो जिसको सोलह कलाओं ने
उस घनश्याम कुञ्ज बिहारी को जन्मदिवस शुभकारी हो
मित्र अनोखे ऐसे की उनसा ना कोई मित्र हुआ
दो लोक सुदामाको कच्चे चावल की भेंट दिया
नर को नारायण करने को पग पग जिसने संभाला था
उस अर्जुनसखा चक्रधारी को जन्मदिवस शुभकारी हो
शिशुपाल यवन जरासंध सभी जिसके आगे नतमस्तक हों
व्यास विदुर कृप द्रौण भीष्म जिसके अति प्रशंसक हों
पांचजन्य के नादमात्र से कुरुक्षेत्र जय जिसे अर्जित हो
उस बलरामानुज ईश हरी को जन्मदिवस शुभकारी हो
श्रापों को भी वरदान समझ जिसने सर से लगाया है
सतकी सेवामें कठिन त्याग करना जिसने सिखाया है
अच्युत थे परमेश्वर थे माधव किन्तु कर्मफलों के धीन रहे
उस बालीहंता जराखेट को जन्मदिवस शुभकारी हो
अचल अव्यक्त भक्तवत्सल हो दीनबंधु हृषिकेश तुम्हीं
रुक्मणि मीरा औ सोलह हज़ार पीडाओंका हो अंत तुम्हीं
क्रिश्नाके चीर जनार्दन बन लाज रखें जो द्वारकाधीश
उस देवकीसुत यशोदानन्दन को जन्मदिवस शुभकारी हो
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