ग़म नहीं है मुझको की तेरे साथ नहीं,
तसल्ली है तेरी यादों में घुला तो हूँ
माना की तू बन नहीं सकती मंजील मेरी,
खुश हूँ किसी मोड़ पर तुझसे मिला तो हूँ
कुछ पल की ही सही मोहब्बत तेरे दिल में,
एक गुल की तरह कभी उसमें खिला तो हूँ
जी तो न सका तेरी मांग का सिंदूर बन के;
मर जाऊंगा, तेरे आसुंओं का सिला तो हूँ
बाँध रक्खा है तुझे जज्बातों से, बुरा हूँ मैं
पर तेरे जाने का दरवाजा खोल रखा है, इतना भला तो हूँ
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