मुस्कुराकर जब वो मेरा नाम लेते हैं
दोनों हाथोंसे दिल को थाम लेते हैं
फिसलते नहीं अब नखरों पर उनके
यूँ तजुर्बे और संयमसे काम लेते हैं
चलो खुद ही चलाते हैं खंजर खुदपर
ज़रा उनके हाथोंको आराम देते हैं
अन्जान हाथोंमें उंगलियां पिरोयीं जिसने
बेवफाई का हमको इल्जाम देते हैं
करते हैं यकीन तो खाते ही हैं धोका
एहतियात हालाँकि तमाम लेते हैं
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