जब भी पूछा घीसकर इन्कार किया
बाहोंमे आयी तो शिद्दतसे मुझे प्यार किया
कितना झूठा हूँ सब पता तो है तुझे
हद है जो मेरे वादे पर ऐतबार किया
ना, नुकर, नहीं, मगर, लब बोले
आँखोंने उसकी खुलके एकरार किया
कसम से, शराबको छुआ तक नहीं मैंने
नशे में हूँ जबसे उनका दीदार किया
जब भी गुज़रा गली से, छुप गयी पर्देमें
शब-ओ-रोज़ जिसने मेरा इंतज़ार किया
फिर उसने रूखसे बालोंको हटाया है
फिर तीर मेरे जिगरके पार किया
काँप गए एक लम्स हुआ जो गलतीसे
उसी ग़लतीको फिर हमने बारबार किया
मेरी सब ज़िद संभाली, सारी बदमाशियां झेली
भला-बुरा जैसा भी हूँ, उसने स्वीकार किया
लबों से छू लिया गालोंको, शरमा गये फिर
चाहतका अपनी कुछ ऐसे इज़हार किया
उसकी खुशीको बँट गये खैरातमे खुद ही
मोहब्बत की है नहीं हमने व्यापार किया
तुम मेरी आखिरी मोहब्बत हो
सरे मेहफिल लो ये स्वीकार किया
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