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Showing posts from March, 2022

हम देखेंगे

हम देखेंगे, हम देखेंगे  निश्चित है की हम भी देखेंगे  हम देखेंगे, हम देखेंगे  भारत एक हिन्दू राष्ट्र बना, हम देखेंगे  सब टूकड़ोंको फिर उसमे जुड़ा, हम देखेंगे  हम देखेंगे, हम देखेंगे आतंकके सारे पर्वत जब  रुईकी तरह उड़ जायेंगे  सब भूले भटके मुसाफिर तब  फिर लौटके घरको आएंगे  और घरके विभीषण सारे जब  मिट्टीमे मिलाये जायेंगे  हम देखेंगे, हम देखेंगे बस इश्वर नाम सुनाई दे  कोई राम कहो, जपो शंकर कोई  माँ के दरबार में हाजर कोई  हम सबमे ब्रम्ह बसा है हुआ  हिन्दू हूँ मैं और तुम भी हो  देवोंने धर्म सनातन दिया  हिन्दू हूँ मैं और तुम भी हो  हम देखेंगे, हम देखेंगे

चमचोंका शोर

चमचोंका उसके शोर है बोहत, झूठोँका यहाँ बोलबाला है  शिकवे भी ठीकसे करने नहीं देता, दुश्मन बड़ा रसूख वाला है घर मेरा है जला तो टीस भी मुझको ही होगी  दोस्त ही तो थे की आगमें जिन्होंने घी डाला है  बेवजह बात बनाना कभी आया नहीं हमें  जो दिलमें था ज़ुबाँसे केह डाला है  जवाब तो मेरे भी पास हैं, तीखे-तीखे, खरे-खरे हद है शराफतकी मुँहपर अब तक ताला है  बड़ी जोरसे हंस रहे हैं सब लूटकर जानेवाले  साहूकारों ने उन्हें बड़ी शिद्दतसे संभाला है  बेहरोंने अर्ज़ियोंकी रख्खी है सुनवाई  चोर हैं चौकीदार, कुछ तो गड़बड़ घोटाला है  मेरी हालतका मज़ाक बनानेवालों सोच लो  पलटकर तुमपर भी कभी ये वक़्त आनेवाला है 

Few sher on Sharaab

होशमें रहूं तो मुझसे कोई बात ना कर ए यार  बुरा मान जाता हूँ गर समझ आ जाए तो हुई शाम हाथोंमें जाम आ गया  सुब्हा से थे सफरमे, मकाम आ गया ये दिल तेरे बिना कहीं लगता नहीं  लगता है, लग रहा है मगर, लगता नहीं लड़खड़ा गए उसके शहरका पानी जो पी लिया  तौबा कोई शराबखाना ना दिखाना हमको कुछ बुँदोंने अब तक ज़िंदा रखा है हमें  दरिया तो मेरी प्यास कबसे अधूरी छोड़ गया 

उसकी तस्वीर देखकर

भूल जाते हैं अपने घर का पता, लोग, उसकी तस्वीर देखकर  आज हम भी तो देखें है बात क्या, चलो, उसकी तस्वीर देखकर  कई मनसूबे, बदमाश इरादे, तमन्नाएँ दिलमें उमड़ने लगीं  होलीके दिन एक रंगोंसे भीगी, उसकी तस्वीर देखकर नज़ारे कई हैं रौनकें ज़मानेमें, शबाब निग़ाहोंके आगे बोहत  नहीं लगता दिल और किसीमे अब, उसकी तस्वीर देखकर  कोयलें और भी सुरीली हो गयीं तितलियाँ नाज़ुक और भी  हो ना हो ये हुआ है सब, उसकी तस्वीर देखकर   वो पूछ रहे हालेदिल अपना, किन ख़यालोंमे खोये हैं हम  सारे जवाब खामोश हैं अब, उसकी तस्वीर देखकर  ये तो आलम है तडप का, बेचैनी का, इंतज़ार का  ताकने लगते हैं फिर उसे, उसकी तस्वीर देखकर  यूँ तो कई गज़लें उनसे हो कर निकली, उन तक जाने को  फिर भी हो जाता हूँ चुप हर बार, उसकी तस्वीर देखकर

दोस्त खो गए हैं, कोई मिला दो

 दोस्त खो गए हैं, कोई मिला दो  सुबह होते ही जो घर पहुँच जाते थे  खींच खींच कर जो होली खिलाते थे  एक प्रिया स्कूटर पर जब चार समाते थे  हर घर मुँह धोते और फिर रंग लगाते थे  कहाँ गया वो वक़्त, जब लौट मेरे घर सभी  मालपुवे और पकोड़े दबाकर खाते थे  वो रंग, वो पकवान, वो उनका यार  इंतेज़ारमें अब भी बैठे हैं, बता दो  दोस्त खो गए हैं कोई मिला दो