Skip to main content

I am a champion

Wake up and see the mirror 
Stare straight into your eyes 
Shakeoff sleep, throw some water
Convince yourself of these lies 
That you are great, better than best
No one can accomplish, what you can
Believe the words, let it seep in
Shout with all might "I'm a champion"

Road was bumpy, you fell down
You're pushed aside, thrown to the ground 
They thought you'd give up, run n hide
Didn't expect to see you for another round 
And that's when you won, before the fight 
All the darkness couldn't, douse your light 
With Grit, determination, faith and passion 
Trust yourself and say "I'm a champion"


Comments

Popular posts from this blog

एक पूरानी कविता

है चाह बस इतनी की हर सर ऊँचा रहे,  आग सिर्फ दिए में हो, महफूज़ हर कूँचा रहे; रहे हिफाज़त से हर ज़िन्दगी, घर की माँ-बेटी-बहु; रोटी और ज्यादा सस्ती हो और महँगा हो इन्सान का लहू. ज़ात पूछे बिना खाना खिलाया जाए धर्म जाने बिना साथ बैठाया जाए रंग और जन्म का फर्क हटा दें लायक को ही नायक बनाया जाए ज़िन्दगी बेशकीमती सिर्फ किताबों में न रहे ज़ालिम आकाओंकी पनाहों में न रहे मजलूम, मजबूर न हो खूँ पीनेको  सितमगरका सुकूनो इज़्ज़त से मैं भी रहूं रोटी और ज्यादा सस्ती हो और हो सके उतना महँगा हो इन्सान का लहू It was 2001 and I was in my final year of B.Sc. I had always been inclined towards theatres and plays & there was an opportunity to perform in our college. I don't really remember whether it was a youth-festival or some other program but I do remember that I had written this play. The play was about a mental asylum that portrayed the civil society and it's complexity. Play had various characters like politicians, police, municipal workers, doctor, teacher and other members of a...

Koshish...

कोशीश कर के देखिये चाहे जो हो हाल अच्छा - बुरा समय हो फिर भी, मत हो जी बेहाल बून्द बून्द सागर है भरता, कह गए तुलसीदास उद्यम हिम्मत परिश्रम से मिटते, जग के सब जंजाल रास्ते में कां...

खुशबुने कहा

हवामें उड़ती हुई एक खुशबु  कुछ कह गयी मुझे, अफसाना सुनाया न कोई, न बात की कोई, फिरभी छेड़कर दिलके तार संगीत सुनाया कोई भर गई है साँसोंमें या रूहमें समां गयी वो  ज़मीं पर हो आसमां वैसे छा गयी वो थी न कोई ज़रूरत  न अरमां उसका  पर यूँ लगा की बना है सारा जहाँ उसका हर शय में वो नज़र आती है हर साँसमें वो गाती है, की आओ मेरे प्रिय और  ले जाओ अपने संग दूर सबसे दूर जहां  हो जहाँ का अंत रहें वहां सिर्फ मैं और तुम  सारे रिश्ते, सारी तमन्नाएँ  हो जाएँ जहां गुम तुम बनो धड़कन मेरी  मैं सांस हूँ तुम्हारी सुनने की उसकी बातें  चाह रह गयी मुझे  हवामें उड़ती हुई खुशबु  यही कह गयी मुझे