छाँव है धुप है रात छाई भी है
बात अब तक छुपी वो बताई भी है
कैसे शोलों से दामन बचालोगे तुम
आग पानी में ऐसे लगाई भी है
एक इशारा है उनको बुलावा है ये
गीत मेरा है सबको छलावा है ये
शेर सजदे में उनके पढ़े हमने जब
सबने माना वो मेरी खुदाई भी है
दिल की हालत पे थोड़ा तरस खाइये
एक बेकस को इतना ना तड़पाइये
आज मेरी तपस्या का फल दीजिये
छोड़िये सारे परदे, करीब आइये
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