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સાચો મિત્ર

જેના નામ નું બહાનું ઘરે આપીને ગર્લફ્રેન્ડ સાથે પિક્ચર જોવા જઇયે એ સાચો મિત્ર કહેવાય 

તમારી પાર્ટી માં પૈસા ખૂટે અને જે બધાને આઈસ્ક્રીમ ખવડાવે એ સાચો મિત્ર કહેવાય 

છોકરી છોડી ગયી એના દુઃખ માં દસ કિલોમીટર સાથે ચાલીને ઘરે આવે એ સાચો મિત્ર કહેવાય 

આવતીકાલે પરીક્ષા હોય પણ રાત્રે તમારા ઘરે બેસીને  ગપ્પા મારે એ સાચો મિત્ર કહેવાય 

તમને ગમતી છોકરી ને ભાભી કહીને પણ લાઈનો મારે એ સાચો મિત્ર કહેવાય 

મટન પુલાવ માં મટન તમને આપી દે અને પોતે કેવળ ભાત ખાય એ સાચો મિત્ર કહેવાય 

ઝગડો તમારો હોય પણ આગળ વધીને જે મુક્કા મારે અને ખાય એ સાચો મિત્ર કહેવાય 

ઝૂઠાણા પણ સાચા માને અને કદી સાચા માં પણ ડાઉટ કરે એ સાચો મિત્ર કહેવાય 

રિઝલ્ટ ખરાબ તમારું હોય પણ દિવસ જેનો ખરાબ જાય એ સાચો મિત્ર કહેવાય 

ખોટા રસ્તે જતા જોઈને ગુસ્સે થાય અને મમ્મી ને કહે એ સાચો મિત્ર કહેવાય 

જેના જોક્સ પર હસતા હસતા રસ્તે બેસી જવાય એ સાચો મિત્ર કહેવાય 

અને જીવન થી જોડાઈને જે જીવન ને આનંદિત કરે એ સાચો મિત્ર કહેવાય 

Comments

  1. Very well written sir, keep it up

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  2. Krishna... Sudhama, Hanuman... Sugriv... મિત્ર એવો શોધવો જે ઢાલ સરીખો હોય સુખમાં પાછળ પડી રહે દુખમાં આગળ હોય તેનું નામ મિત્ર

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  3. જોરદાર રાજુ. લખતો રહેજે....

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कभी ना थे.....

हालात इतने बदतर कभी ना थे  दिलों पे पत्थर कभी ना थे  माना की आप दोस्त नहीं हमारे दुश्मन भी मगर कभी ना थे  लाख छुपाएं वोह हाले दिल हमसे  अनजान मन से हम कभी ना थे ग़म का ही रिश्ता बचा था आखिर  ख़ुशी के यार हम कभी ना थे  कौन हौले से छू गया मन को  नाज़ुक अंदाज़ उनके कभी ना थे चीर ही देते हैं दिल बेरहमीसे  बेवजह मेहरबान वोह कभी ना थे  नज़रों की बातों पे भरोसा करते हैं  शब्दों के जानकार तो कभी ना थे  बिन कहे अफसानों को समझ लेते हैं  लफ़्ज़ों के मोहताज कभी ना थे  सामने तो अक्सर आते नहीं गायब सरकार मगर कभी ना थे याद ना करें शायद वोह हमें  भुलने के हक़दार मगर कभी ना थे 

हो सकता है

प्यार करलो जी भरके आज ही,  कल बदल जाएँ हम-तुम हो सकता है ज़िन्दगी पकड़लो दोनों हाथोंसे,  वक़्त इस पल में ठहर जाये हो सकता है जो बीत चूका वो ख़यालों में अब भी ज़िंदा है  पहली मुलाक़ात और सफ़ेद जोड़ेमें सजी तुम  बंद होते ही आँखें देख लेता हूँ, पलंग पर बैठे  और गुलाब की खुशबु से महकती हुई तुम यादों से मेरी तुम चली जाओ कभी ना होगा  मैं खुद ही को भूल जाऊँ हो सकता है  दो थे हुए एक, जिंदगीके सफरमें हम  तस्वीरोंको नए रंग मिले जब तुमसे मिले हम  फुलवारीमें खिले नए फूल, तुम्हारी मुस्कान लिये मकान घर बन गए, जब तुमसे मिले हम  बैठ फुर्सतमें टटोलें पुराने किस्से, और हम उन्हींमें लौट जाएँ हो सकता है   बरसों की कश्मकशने बदल दिया है चेहरे को रंग रूप भी जिंदगीके साथ घट-बढ़ गए हैं  जो लहराते थे खुल के हवाओं में, घटाओं से  तुम्हारी साडीके नीचे जुड़े में बंध गए हैं  सुबह सुबह उन भीने केशों को तुम खोलो  और सावन आ जाये हो सकता है मैं और भी बदलूंगा आने वाले वक़्त में तुम भी शायद ऐसी नहीं रहोगी जिम्मेदारियां घेरेंगी और भी हमको बच्चोंकी फरम...

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