तेरी हर तस्वीर, हर रील को दसियों बार देख लिया
सब में वही खुले बाल, बड़ी बड़ी काजल लगी आँखें
और मुस्कुराता हुआ मासूम सा चेहरा
कुछ अनोखा नहीं है तुझमे, ना नाच ना ललचाती अदाएं
इंस्टाग्राम पर सैंकड़ों डोलती, लुभाती सुंदरियाँ दिखती हैं
मगर, ए अजनबी क्यूँ बार बार लौटता हूँ
तेरी प्रोफाइल पर
तेरी अवाजमे कहे हर शेरनी छू लिया दिलको मेरे
जलन होती है मुझे आईनेसे
जिसके सामने तुम बैठती हो
शायद, मुझे इश्क़ हो गया है तेरी शायरी से,
तेरी सादगी से, और तुझसे
क्या संभव है किसीसे बिना मिले प्रेम करना?
क्या ये इंतज़ार, ये तड़प, उसी प्रेम के लक्षण हैं?
बताना मुझे ए अजनबी, गर जान पाओ तो
क्यूंकि अब मेरे दिल ओ दिमाग पर तुम्हारे शब्द
तुम्हारा चेहरा छाया हुआ है हर समय
कोई नया शेर सूझता ही नहीं जो तेरे लिए ना हो
मेरी शायरी तुझमे समां गयी है शायद
तो इतनी बिनती मान लो,
मेरे हिस्सेके शेर भी तुम्हीं कह दो
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