तुम्हें देख मुस्कुराएँ तो मत केहना
नज़रें हट ना पाएँ तो मत केहना
ये रूप ये सजावट ये अदाएँ ये शोखियाँ
हम बेहक गर जाएँ तो मत केहना
इलज़ाम तुम पर लगेंगे दीवानगीके हमारी
होश में ही ना आएँ तो मत केहना
ये कातिल हुस्न संवारा हो भले किसीके लिए
हम देखें और मर जाएँ तो मत केहना
उम्र लम्बी हो मोहब्बतकी, सिंगार के सबब की
दीदार हम किये जाएँ तो मत केहना
अजनबी हम मिलें, बैठ बातें करें, और तुम्हें
प्यार हमसे हो जाए, तो मत केहना
तस्वीरें यूँही लगाती रहो नए लिबास नए श्रृंगारकी
मजे हम लिए जाएँ तो मत केहना
बोहत सब्र किये रहते हैं जब पास कभी आती हो
गलती से छू जाएँ तो मत केहना
सादगी तुम्हारी और ज़माने भर की सजावटें
दिल हर बार लौट आए तो मत केहना
बात सिर्फ तुम्हारा नाम लिखने भर की थी
कलम उठे, ग़ज़ल हो जाए तो मत केहना
आईने को देख खुद को निखारा करो बेशक
हम तुम्हें देखें जाएँ तो मत केहना
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