Skip to main content

भोर के साथ संवाद

भोर की पेहली किरन के साथ ये संवाद है 
दिन नया, अवसर नया, करनी नयी शुरुआत है 
राह में थे जो भी पत्थर हो भले अब भी खड़े 
जीत हार गौण है, है मुख्य तुम कैसे लड़े 
मत रुको, आगे बढ़ो, लक्ष्य प्राप्ति होने तक 
चलते रहो अविराम मार्ग की समाप्ति होने तक 
ध्येय मिल जायेगा श्रम करते रहो विश्वास है 
भोर की पेहली किरन के साथ ये संवाद है 

मृदु रस्सियों की मार से पत्थर भी कट जाते हों जब
बेहती निरंतर धार से पर्वत भी छंट जाते हों जब 
क्या योग्य है की ना करो तुम यत्न पूरा बार बार 
चीटियों के झुंड भी कैलाश चढ़ जाते हों जब 
गिरना सफर का भाग है, मत हो निराश याद कर 
गिरके ही सीखा चलना था, उठजा के मत फरियाद कर 
हर अँधेरी रात का तो अंत नया प्रभात है 
भोर की पेहली किरन के साथ ये संवाद है 

था सरल कल भी नहीं, ना कल सरल हो जायेगा
फेर लो मुंह तो कहीं संकट नहीं टल जायेगा
आज डर के भाग लो, पर याद रखना ये सदा 
कल किसी भी मोड़ पर फिर सामने आ जायेगा 
विपदाओं की मार जो डिगा दे तुम्हें विश्वास से 
हो स्मरण की जीत है जो ना थके प्रयास से 
जय वरण करते हैं जिनकी प्रबल वो चाह है 
भोर की पेहली किरन के साथ ये संवाद है

बीते कलमें जीते रेहना, चाहे लगे कितना सरल 
आजकी कठिनाइयोंका, आज हीमें मिलेगा हल   
आनेवाले भावी को भी चाहते गढ़ना जो तुम 
निर्मित करेंगे वर्तमान कर्म ही आगामी कल 
जो तुम्हारे सामने हो, हर चुनौती से भिड़ो 
कल्पना को त्याग सत्य की लड़ाई में जुडो 
ऐसा होता वैसा होता व्यर्थ सब विवाद है 
भोर की पेहली किरन के साथ ये संवाद है

दूर हो गंतव्य अतिशय, मार्ग भी बेहद कठिन
बाधाओं के त्रास से, हो रहा साहस जो क्षीण
हो स्मरण ये बात की, बस एक ही उपाय है  
हर कदम के बाद, अगला पद ही अनिवार्य है 
बूँद बूँद करके ही, भरते हैं ताल और नदी 
छेनी पे छेनी पडते ही, प्रतिमा लेती आकार है 
कर्म केवल आजके ही बस तुम्हारे हाथ है 
भोर की पेहली किरन के साथ ये संवाद है

Comments

Popular posts from this blog

कभी ना थे.....

हालात इतने बदतर कभी ना थे  दिलों पे पत्थर कभी ना थे  माना की आप दोस्त नहीं हमारे दुश्मन भी मगर कभी ना थे  लाख छुपाएं वोह हाले दिल हमसे  अनजान मन से हम कभी ना थे ग़म का ही रिश्ता बचा था आखिर  ख़ुशी के यार हम कभी ना थे  कौन हौले से छू गया मन को  नाज़ुक अंदाज़ उनके कभी ना थे चीर ही देते हैं दिल बेरहमीसे  बेवजह मेहरबान वोह कभी ना थे  नज़रों की बातों पे भरोसा करते हैं  शब्दों के जानकार तो कभी ना थे  बिन कहे अफसानों को समझ लेते हैं  लफ़्ज़ों के मोहताज कभी ना थे  सामने तो अक्सर आते नहीं गायब सरकार मगर कभी ना थे याद ना करें शायद वोह हमें  भुलने के हक़दार मगर कभी ना थे 

हो सकता है

प्यार करलो जी भरके आज ही,  कल बदल जाएँ हम-तुम हो सकता है ज़िन्दगी पकड़लो दोनों हाथोंसे,  वक़्त इस पल में ठहर जाये हो सकता है जो बीत चूका वो ख़यालों में अब भी ज़िंदा है  पहली मुलाक़ात और सफ़ेद जोड़ेमें सजी तुम  बंद होते ही आँखें देख लेता हूँ, पलंग पर बैठे  और गुलाब की खुशबु से महकती हुई तुम यादों से मेरी तुम चली जाओ कभी ना होगा  मैं खुद ही को भूल जाऊँ हो सकता है  दो थे हुए एक, जिंदगीके सफरमें हम  तस्वीरोंको नए रंग मिले जब तुमसे मिले हम  फुलवारीमें खिले नए फूल, तुम्हारी मुस्कान लिये मकान घर बन गए, जब तुमसे मिले हम  बैठ फुर्सतमें टटोलें पुराने किस्से, और हम उन्हींमें लौट जाएँ हो सकता है   बरसों की कश्मकशने बदल दिया है चेहरे को रंग रूप भी जिंदगीके साथ घट-बढ़ गए हैं  जो लहराते थे खुल के हवाओं में, घटाओं से  तुम्हारी साडीके नीचे जुड़े में बंध गए हैं  सुबह सुबह उन भीने केशों को तुम खोलो  और सावन आ जाये हो सकता है मैं और भी बदलूंगा आने वाले वक़्त में तुम भी शायद ऐसी नहीं रहोगी जिम्मेदारियां घेरेंगी और भी हमको बच्चोंकी फरम...

सफ़र...

हर सफ़र जो शुरू होता है, कभी ख़त्म भी होना है  हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है  मिलकर के बिछड़ना, फिर बिछड़कर है मिलना;  ये प्यार की मुलाकातें, हैं इक सुहाना सपना  हर रात के सपने को, सुबह होते ही खोना है;  हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है  है याद उसकी आती जिसे चाहते भुलाना;  दिलके इस दर्द को है मुश्किल बड़ा छुपाना  ऐ दिल तू है क्या, एक बेजान खिलौना है;  हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है  परवाने हैं हम किस्मत, हस्ती का फना होना;  पाने को जिसे जीना, पाकर है उसको मरना  हर शाम इसी शमा में जलकर धुआं होना है,  हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है  चंद लम्हों की ज़िन्दगी है मोहब्बत के लिए कम  किसको करें शिकवा, शिकायत किससे करें हम  हिज्रकी लम्बी रातों में यादोंके तकिये लिए सोना है हर हँसते चेहरे को इक बार, ग़में इश्क़ में रोना है  बेख़यालीमे अपनी जगह नाम उनका लिक्खे जाना  दीवाने हो गए फिर आया समझ, क्या होता है दीवाना  जूनून-ऐ-इश्क़से तरबतर दिलका हर ए...