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Showing posts from October, 2020

तरसते रहे

इक मुलाकात को हर दिन तरसते रहे  बूंदें न गिरी हम पर बादल बरसते रहे  नज़रें दर्पण बनी बैठी थी इंतज़ार में  वो आईने को देख सजते संवरते रहे  लोगों ने कहा सब आँखों का छलावा है  मोहब्बत होगी तुमको उनका दिखावा है  वो पथरीले किनारे हम समंदर की लहरें  टकराकर उनसे दिल टूटते बिखरते रहे  पास आकर भी पास आये नहीं  दर्द थे बहुत हमने जताये नहीं  तकलीफसे उनके हाथोंको बचाने को  खुद ही खोद कब्र खुद ही उतरते रहे  भूल जाने का फैसला फिर किया हमने   जा आखरी अलविदा कर दिया हमने  ज़िक्र अब तेरा क़यामत के रोज़ होगा  रोज़ भले गलियोंसे तेरी होकर गुज़रते रहे चालाकी उनकी उन्हीको महंगी पड़ी  सादगी से हम तो ज़हर भी पीते रहे  रोने से कहाँ लौटेंगे लम्हें जो बीत गए  था वक़्त कभी तेरी यादों में जीते रहे 

Ex-girlfriend

नाम उनका अचानक सुनाई दिया  नंबर अनायास कहीं दिखाई दिया  नाज़ुक लम्हें यादों में ताज़ा हो गए  व्हाट्सप्प पर जब उसने रिप्लाई दिया  बातें फिर हुई शुरू दो-चार कुछ गीले शिकवे थोड़ी तकरार  सब मसले खुद ही हल हो गए  वीडियोकॉल पर जब चेहरा दिखाई दिया  वादे किये जल्द ही मिलने के  ज़ुल्फ़ोंमें उलझनेके बाहोंमे घुलने के  दिलको चैन मिला तब जाकर जब  ट्रैन का रिजर्वेशन अप्लाई किया  आ ही गए आखिर शहर में मेरे  मजबूरियां हैं कुछ लगे हैं पेहरे  छुप छुप कर करनी पड़ती हैं बातें  मौके खोजकर मैसेजमें हाई किया  बहाने बनाये लाखों बेजीस कवर किये  डेट फिक्स और प्लेसीस डिस्कवर किये  छुपते छुपाते पहोंचे मुझतक, गाड़ीमे बैठे  शरारतसे मुस्काई, बालों को अनटाई किया  कुछ घंटे चंद लम्हों से बीत गए  कुछ हम हारे कुछ वो जीत गए  न रुक सकते थे न जाने का मन था  भीगी पलकोंसे मुझको गुडबाय किया  हर मुलाकातमें प्यास बुझती बढ़ती रहती  हमें कम लगता वक़्त वो देर हो रही कहती  जल्द ही लौटने की घडी आ पहुंची उनकी  लास्ट म...

मिलो तो सही

चाँद सितारे भी तोड़ लाएंगे, मिलो तो सही नज़ारे कई और दिखलायेंगे, मिलो तो सही  ना समझना की यार एक मौसम भर के हैं  ज़िन्दगी भर साथ निभाएंगे, मिलो तो सही  कुछ अनकही बातों ने असर गहरा किया  नज़र मिली तो नज़रने असर गहरा किया  जबसे देखा हर नशे से तौबा करली लेकिन  सुरूर मोहब्बत का बताएँगे, मिलो तो सही  कई रोज़ बाद तेरे शहर आना हुआ है  मुद्दतसे थी चाहत अब जाकर बहाना हुआ है  जिन बालों का साया करते थे अक्सर  चोटी उनमे बनाएंगे, मिलो तो सही 

दशहरा

नौ दिन तक संघर्ष चला है  नौ दिन भीषण संग्राम  दशमी विजय की बेला है  जीत जायेंगे राम  जीत जाएंगे राम, और रावण हारेगा  प्रखर किरण भानु, सघन तम को मारेगा  रक्त टपकता खप्परमें असुरों के सिर से  गूंज रहा जयघोष काली का सत्यशिविर से  देवोँने किये जो रास निरंतर नौ रातों तक  माताने सुनी अरदास दुष्ट पर जय पाने तक  महिषासुर का है अंत  माई नवदुर्गा जीतीं  दुखकी अँधेरी रातें  अब जाकर के बीतीं  दहन करो दशानन का  राम के गुण गाओ  फाफड़ा लाओ ढेर सारे  जलेबीयाँ छनवाओ  नवरातों के तप-फल स्वरुप  दशहरा मनाओ  भीतर जो राक्षस बसता  आज फिर से हराओ  आलस्य मिटादो नाश करो तुम अहंकार का  भय का अंत और अंत सारे विकार का  शब्दों से नहीं कर्मों से आगे निकलो  निज विकासको मार्ग दुर्गम चुनलो  हो खुदसे यह संवाद की   किस योग्य बनोगे? कौरव सम चीर हरण या  माधव सम चीर भरोगे  निश्चय करो दृढ, संकल्प बनालो  माँ अम्बा की विजय, रामकी जीत मनालो  पथ लो सतत परिश्रम का  निज स...