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A collaborative effort.....

વ્યર્થ દુનિયામાં પ્રણય ને આંધળો કહેવાય છે
તું નયન સામે નથી તો પણ દેખાય છે - Nikhil Supekar 

ક્યાંક તું વાંચે, મને ઓળખે અને યાદ કરે
બસ આજ આશાથી આ કવિતા લખાય છે

તને જોતા જ ભુલ્યો મને, 
આમ કોઈ આંખોના દ્વારે, હૈયે સમાય છે - Rakhee Thakur

એ આવ્યા, મને જોયો અને મુસ્કુરાયા
બસ આટલી જ વાત મને સમઝાય છે

પ્રેમ હતો કે ભ્રમ શું જાણે
હવે એ કિસ્સો સભામાં ચર્ચાય છે - Rakhee Thakur

સરળતા થી ભુલાય એવો પ્રેમ નથી
આ વિષય મારી રચનાઓ માં આલેખાય છે

જ્યાં જુઓ ત્યાં બધે એકજ વદન દેખાય છે
કોઈ ને એક વાર જોયા બાદ આવું થાય છે? - Nikhil Supekar 

આજે પણ એની ગલી થી નીકળતા મને
એના હાસ્ય ના ભણકારા વર્તાય છે

આવ મારા આંશુ ની થોડીક ચમક આપું તને
તું મને જોઈને બહુ ઝાન્ખી મલકાય છે - Nikhil Supekar 

આંસુઓથી છલકાયી આંખોં ને આજે કામ નથી આપવું
તું સ્પર્શ થી સંભળાય અને હૃદય થી દેખાય છે

હું કરું છું એની બંદ બારી પાર નઝર
ત્યારે મારી આંખોં માં એક ડોકાય છે - Nikhil Supekar 

બારી બારણાં બંદ કરે શું મારો સ્નેહ રોકાશે
પ્રેમ મારો સાગર છે જ્યાં કેવળ ભરતી જ થાય છે

પ્રેમ માં રાહ જોવી અજબ મજા છે એ દોસ્ત
એની યાદ માં દિલ ના દાસે કોઠે દિવા થાય છે - Rakhee Thakur

આ અંત નથી તારોમારો કેવળ અલ્પ વિરામ છે
ક્ષિતિજ ની પાર મને એક ઉજ્જવળ કાલ દેખાય છે

This is the result of an online Mushayara done between us friends on whatsapp. 

A few keys to read this poem.

Couplets in these fonts are provided by my friends. Their names will be at the end.

These are my contributions.

Comments

  1. Wow Raju.. that's so nice of u to preserve our spontaneous expressions..
    Fari yaado taji Thai gai

    ReplyDelete

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कभी ना थे.....

हालात इतने बदतर कभी ना थे  दिलों पे पत्थर कभी ना थे  माना की आप दोस्त नहीं हमारे दुश्मन भी मगर कभी ना थे  लाख छुपाएं वोह हाले दिल हमसे  अनजान मन से हम कभी ना थे ग़म का ही रिश्ता बचा था आखिर  ख़ुशी के यार हम कभी ना थे  कौन हौले से छू गया मन को  नाज़ुक अंदाज़ उनके कभी ना थे चीर ही देते हैं दिल बेरहमीसे  बेवजह मेहरबान वोह कभी ना थे  नज़रों की बातों पे भरोसा करते हैं  शब्दों के जानकार तो कभी ना थे  बिन कहे अफसानों को समझ लेते हैं  लफ़्ज़ों के मोहताज कभी ना थे  सामने तो अक्सर आते नहीं गायब सरकार मगर कभी ना थे याद ना करें शायद वोह हमें  भुलने के हक़दार मगर कभी ना थे 

हो सकता है

प्यार करलो जी भरके आज ही,  कल बदल जाएँ हम-तुम हो सकता है ज़िन्दगी पकड़लो दोनों हाथोंसे,  वक़्त इस पल में ठहर जाये हो सकता है जो बीत चूका वो ख़यालों में अब भी ज़िंदा है  पहली मुलाक़ात और सफ़ेद जोड़ेमें सजी तुम  बंद होते ही आँखें देख लेता हूँ, पलंग पर बैठे  और गुलाब की खुशबु से महकती हुई तुम यादों से मेरी तुम चली जाओ कभी ना होगा  मैं खुद ही को भूल जाऊँ हो सकता है  दो थे हुए एक, जिंदगीके सफरमें हम  तस्वीरोंको नए रंग मिले जब तुमसे मिले हम  फुलवारीमें खिले नए फूल, तुम्हारी मुस्कान लिये मकान घर बन गए, जब तुमसे मिले हम  बैठ फुर्सतमें टटोलें पुराने किस्से, और हम उन्हींमें लौट जाएँ हो सकता है   बरसों की कश्मकशने बदल दिया है चेहरे को रंग रूप भी जिंदगीके साथ घट-बढ़ गए हैं  जो लहराते थे खुल के हवाओं में, घटाओं से  तुम्हारी साडीके नीचे जुड़े में बंध गए हैं  सुबह सुबह उन भीने केशों को तुम खोलो  और सावन आ जाये हो सकता है मैं और भी बदलूंगा आने वाले वक़्त में तुम भी शायद ऐसी नहीं रहोगी जिम्मेदारियां घेरेंगी और भी हमको बच्चोंकी फरम...

सफ़र...

हर सफ़र जो शुरू होता है, कभी ख़त्म भी होना है  हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है  मिलकर के बिछड़ना, फिर बिछड़कर है मिलना;  ये प्यार की मुलाकातें, हैं इक सुहाना सपना  हर रात के सपने को, सुबह होते ही खोना है;  हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है  है याद उसकी आती जिसे चाहते भुलाना;  दिलके इस दर्द को है मुश्किल बड़ा छुपाना  ऐ दिल तू है क्या, एक बेजान खिलौना है;  हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है  परवाने हैं हम किस्मत, हस्ती का फना होना;  पाने को जिसे जीना, पाकर है उसको मरना  हर शाम इसी शमा में जलकर धुआं होना है,  हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है  चंद लम्हों की ज़िन्दगी है मोहब्बत के लिए कम  किसको करें शिकवा, शिकायत किससे करें हम  हिज्रकी लम्बी रातों में यादोंके तकिये लिए सोना है हर हँसते चेहरे को इक बार, ग़में इश्क़ में रोना है  बेख़यालीमे अपनी जगह नाम उनका लिक्खे जाना  दीवाने हो गए फिर आया समझ, क्या होता है दीवाना  जूनून-ऐ-इश्क़से तरबतर दिलका हर ए...