हर सफ़र जो शुरू होता है, कभी ख़त्म भी होना है हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है मिलकर के बिछड़ना, फिर बिछड़कर है मिलना; ये प्यार की मुलाकातें, हैं इक सुहाना सपना हर रात के सपने को, सुबह होते ही खोना है; हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है है याद उसकी आती जिसे चाहते भुलाना; दिलके इस दर्द को है मुश्किल बड़ा छुपाना ऐ दिल तू है क्या, एक बेजान खिलौना है; हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है परवाने हैं हम किस्मत, हस्ती का फना होना; पाने को जिसे जीना, पाकर है उसको मरना हर शाम इसी शमा में जलकर धुआं होना है, हर हँसते चेहरे को इक बार, गमें इश्क में रोना है चंद लम्हों की ज़िन्दगी है मोहब्बत के लिए कम किसको करें शिकवा, शिकायत किससे करें हम हिज्रकी लम्बी रातों में यादोंके तकिये लिए सोना है हर हँसते चेहरे को इक बार, ग़में इश्क़ में रोना है बेख़यालीमे अपनी जगह नाम उनका लिक्खे जाना दीवाने हो गए फिर आया समझ, क्या होता है दीवाना जूनून-ऐ-इश्क़से तरबतर दिलका हर ए...
I am not a poet. But these words came to me out of nowhere. I wrote them, read them and re-read them. Only one word could describe what I had written. Hence, they are my Poems.