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क्या सितम ढाया है, क्या बताऊँ तुमको

क्या सितम ढाया है, क्या बताऊँ तुमको  वक़्त यूं देरसे जिंदगी में लाया है तुमको  पहली बार देखा तो दीवाने हो गये थे तेरे 
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बेईमानी मोहब्बत में बस इतनी सी करते रहे हम

बेईमानी मोहब्बत में बस इतनी सी करते रहे हम  साथ चाहे किसीके भी हों, तेरे थे तेरे ही रहे हम  यूँ तो आवारा मुसाफिर सी गुज़ारी है जिंदगी लेकिन  अब भी तेरे घर के सामने की छत पर ठहरे रहे हम  तेरी झुल्फों तले बीतीं थी जो शामें हसीन 

नये साल बस यही दुआ चाहता हूँ

नये साल बस यही दुआ चाहता हूँ  दर्द हैं जो बन जाएँ दवा चाहता हूँ  जो किस्से जीये मगर दोहराये नहीं  अब शेरोंमें उनको कहा चाहता हूँ इक लड़की जो छोड़ चुकी शरारतें  फिरसे करे वो कोई खता चाहता हूँ  दो और दो का जोड़ पांच बनाने को  लबों से उसके होंठ छुआ चाहता हूँ  बात करके तुझसे अच्छा लगा दोस्त  बात यूँही करना रोज़ सखा चाहता हूँ मेरे कुछ ख्वाब प्रतीक्षामें हैं प्रयासके मैं उनका ये इंतज़ार मिटा चाहता हूँ  राज ज़ाहिर न हो जायें वक़्तसे पहले  ख्वाहिशों को खुदसे छिपा चाहता हूँ  फिर एक ख़याल घर कर चला मनमे  फिर उसे किताबमे लिखा चाहता हूँ  बस दिखा करे वो हररोज़ सुबहोशाम  आलावा इसके कुछ कहाँ चाहता हूँ  पहला दिन है नये साल का और मैं  राज नया आपको दिया चाहता हूँ 

नज़ारा होते ही शबाबका उछल जाता हूँ

नज़ारा होते ही शबाबका उछल जाता हूँ  दिल हूँ मैं, आदतन फिसल जाता हूँ  छोटे-बड़े, आड़े-तिरछे, जो मिले खेल लूँ  हूँ बच्चे सा, गुब्बारोंसे बेहल जाता हूँ  मंज़िलोंसे अधिक प्रेम सफर से है मुझको  कहाँ को चलता हूँ, कहाँ निकल जाता हूँ 

चीर कर यूँ दिल अपना दिखाते हैं

चीर कर यूँ दिल अपना दिखाते हैं  आइये इक नया नगमा सुनाते हैं  हँस दीजिये भले ही देख ज़ख्म मेरे  ये दुःख किसीके तो काम आते हैं  दाद नहीं दोगे, शायद पढ़ो भी नहीं  हम शेरोंमें जीते हैं रोज़ मरे जाते हैं 

तेरे ग़म, तेरी खुशियां, सभी मुश्किलें बांटूंगा

तेरे ग़म, तेरी खुशियां, सभी मुश्किलें बांटूंगा  पाँव दबा दूंगा लेकिन तेरे तलवे नहीं चाटूँगा  इश्क़, मोहब्बत, दीवानगी, कम नहीं फिर भी  बिछड़ जाने पर कभी कलाइयां नहीं काटूंगा  तू है ज़रूरी सब से मगर बस तू ज़िन्दगी नहीं  कभी कभी कुछ वक़्त मैं तन्हाईमें भी काटूंगा

मेरी ही बदौलत हैं

सब गीत, किस्से, कहानियाँ, मेरी ही बदौलत हैं  तुम्हारी जितनी हैं परेशानियाँ मेरी ही बदौलत हैं कई सैलाब, कई असबाब छुपाये बैठा हूँ खुदमे  कहीं वादियां, कहीं वीरानियाँ मेरी ही बदौलत हैं गुलाबी गालोंकी लाली, नशीली आँखका काजल ये हसीं जितनी भी हैं रानाइयाँ मेरी ही बदौलत हैं  कांपते होंठ, बिखरती ज़ुल्फ़, ये खोये हुए से नैन  मोहब्बतकी सभी निशानियाँ मेरी ही बदौलत हैं  छेड़-छाड़, अठखेलियां, फिर रूठना-मनाना कभी  करते हो जो तुम ये शैतानियाँ, मेरी ही बदौलत हैं  ये जो लिख लेते हो इश्क़ कभी गा लेते हो प्यार  इसे हुनर कहो या हैरानियाँ, मेरी ही बदौलत हैँ