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Showing posts from August, 2023

नज़ारा होते ही शबाबका उछल जाता हूँ

नज़ारा होते ही शबाबका उछल जाता हूँ  दिल हूँ मैं, आदतन फिसल जाता हूँ  छोटे-बड़े, आड़े-तिरछे, जो मिले खेल लूँ  हूँ बच्चे सा, गुब्बारोंसे बेहल जाता हूँ  मंज़िलोंसे अधिक प्रेम सफर से है मुझको  कहाँ को चलता हूँ, कहाँ निकल जाता हूँ 

चीर कर यूँ दिल अपना दिखाते हैं

चीर कर यूँ दिल अपना दिखाते हैं  आइये इक नया नगमा सुनाते हैं  हँस दीजिये भले ही देख ज़ख्म मेरे  ये दुःख किसीके तो काम आते हैं  दाद नहीं दोगे, शायद पढ़ो भी नहीं  हम शेरोंमें जीते हैं रोज़ मरे जाते हैं 

तेरे ग़म, तेरी खुशियां, सभी मुश्किलें बांटूंगा

तेरे ग़म, तेरी खुशियां, सभी मुश्किलें बांटूंगा  पाँव दबा दूंगा लेकिन तेरे तलवे नहीं चाटूँगा  इश्क़, मोहब्बत, दीवानगी, कम नहीं फिर भी  बिछड़ जाने पर कभी कलाइयां नहीं काटूंगा  तू है ज़रूरी सब से मगर बस तू ज़िन्दगी नहीं  कभी कभी कुछ वक़्त मैं तन्हाईमें भी काटूंगा

मेरी ही बदौलत हैं

सब गीत, किस्से, कहानियाँ, मेरी ही बदौलत हैं  तुम्हारी जितनी हैं परेशानियाँ मेरी ही बदौलत हैं कई सैलाब, कई असबाब छुपाये बैठा हूँ खुदमे  कहीं वादियां, कहीं वीरानियाँ मेरी ही बदौलत हैं गुलाबी गालोंकी लाली, नशीली आँखका काजल ये हसीं जितनी भी हैं रानाइयाँ मेरी ही बदौलत हैं  कांपते होंठ, बिखरती ज़ुल्फ़, ये खोये हुए से नैन  मोहब्बतकी सभी निशानियाँ मेरी ही बदौलत हैं  छेड़-छाड़, अठखेलियां, फिर रूठना-मनाना कभी  करते हो जो तुम ये शैतानियाँ, मेरी ही बदौलत हैं  ये जो लिख लेते हो इश्क़ कभी गा लेते हो प्यार  इसे हुनर कहो या हैरानियाँ, मेरी ही बदौलत हैँ