Skip to main content

Posts

Showing posts from May, 2021

नयी मंजिलें

नयी मंजिलें, नये किनारे नज़र आते हैं  ख्वाब जब हैसियत से बाहर हो जाते हैं  जब कोई रास्ता लौटने का ना छोड़ें  रुकावटें मीलका पत्थर बन जाते हैं  अजनबी तो मिलते रहेंगे सफरमें यूँही  दिल खुला हो तो वे भी दोस्त बन जाते हैं  और क्या सबूत दें हम वफ़ा का अपनी मज़मून कोई हो ज़िक्र उनका किये जाते हैं  'राज' ये मौका फिर कभी आनेका नहीं  मुस्कुराकर वो देखते हैं, और देखे जाते हैं 

दिलका पता

ये हवाएँ मुझे दे रही हैं बता  तेरे घर तक पहुंचने का रास्ता  सारे अवरोध हट जायेंगे राह से  दिल को मिलके रहेगा दिलका पता  बेकरारी को दिलकी मिलेगा सुकून  मन की गिरहों को आराम मिल जायेगा  मुस्कुराकर जो तुम सामने आ गयीं  जी तो मारे खुशीके ना जी पायेगा 

मोहब्बत

दिनकी उड़ानें ख़त्म कर  पंखों से लेहरें बनाते हुए  चहचहाते ज्यों लौटते हैं  थके परिंदे दरख्तों पर  वैसे ही हर सफर के अंतमें  तुम तक पहुंच जाता हूँ  मझधार से रास्ता खोज  तटों तक आती नावों सा  तुम्हारी रौशनीसे जगमगाते  ज़िन्दगी के किनारे पा जाता हूँ  एक नज़र बस काफी है दिल को सुकून देने के लिए  गोद में सिर रक्खे हुए  बालों के साये तले  आँख मूँद लेटे लेटे  खुदको भूल जाता हूँ और तुम एक गीत बन जाती हो  जो कभी लिखा नहीं  मगर रोज़ गाया है  मेरे दिलने तुम्हारे लिए  वो दिल भी तुम्हारे ही पास है  मोहब्बत का इसके अलावा  कोई अर्थ बता नहीं पाता हूँ 

उषा का प्रश्न

उषा का प्रश्न है यह  भोर तुमसे पूछती है जो देखे स्वप्न उनको  पूरा करना चाहते क्या? उठो अब भी समय की  थाम लो जो दिन बचा है  विजय तक लेके जाता  और कोई मार्ग है क्या? शिखर का ध्यान रक्खो और दृष्टि हर कदम पर  जो ना भटकेगा पथ से  ध्येय कभी चूकता क्या?