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Showing posts from August, 2020

चंद शेर

वो नज़रों के आगे आये यूँ छुपकर की महताब ओझल हुआ बादलों में परदे का हटना, निगाहों का मिलना दिल ही हमारा फंसा मुश्किलों में शाम के हलके उजाले में  छत से कपडे बटोरते हुए  खुले बालों से बिखर कर  मुझ तक जो पहुंचती थी  घने बादलों को देखकर  सोंधी सी वही खुशबु  समां जाती है रूह में और  खुदको उसी छत पर पाता हूँ बिखरी ज़ुल्फ़ोंने करदी बयाँ मुलाक़ात की कहानी  अधरों की शरारतें भी सुनी होठों की ज़ुबानी  नैनों की बदमाशियाँ आँखों से छुपती कैसे  अंगड़ाइयाँ जो करती रहीं सिलवटों से छेड़खानी  कुछ देर और बैठो पास नज़र भर देखलें  इन लम्हों में ही जी लेंगे हम पूरी ज़िंदगानी  बढ़ती ही जाती है जितना भी देखूं तड़प उनके दीदार की जो उठी है दिल को कर दिया बेसबर बस ये न करना था  यूँ हलके से उसका ज़िकर बस ये न करना था  जिस बेखयाली से उनका दीदार करवाया है तूने  पानी को आग से यूँ तर बस ये न करना था छुपालो इन नज़ारोंको परदे के पीछे का राज़ रक्खो  दोस्ती गेहरी ही सही मेहफिल का तो लिहाज़ रक्खो  ज़ज़्बात कितनी ही उफान लगाएं मगर सब्र को थामो  बाज...

शोहरत

कहानीमें कुछ किरदार अब भी बाकी हैं जिंदगी ही से कुछ उधार अब भी बाकी हैं मत समझो मैं शोहरत की ऊंचाइयों पर हूँ  ख्वाबों के कुछ इज़हार अब भी बाकी हैं अपनी ही जान अपने ही हाथों लुटाना है मुझे और भी कई सीढियाँ चढ़के जाना है होते होंगे लोग चाँद सितारों से खुश मुझे फलक से आफ़ताब तोड़ के लाना है सफरमें कुछ मुश्किल दौर अब भी बाकी हैं टूटी सही कुछ हौसले की डोर अब भी बाकी हैं   फैसले कई बार डगमगाए तो हैं  हालात से कुछ गिडगिडाएँ तो हैं  गुरुर करने की गुंजाईश ही कहाँ  अजनबी भी मदद में आये तो हैं वाजोंमें कुछ उड़ान अब भी बाकी हैं  मेरे आगे आसमान अब भी बाकी हैं  वो कहते हैं की सब पीछे छोड़ रहा हूँ  लेकिन मैं अलग कतारमें दौड़ रहा हूँ  उजाले तक पहुँचने की कोशिश में  उँगलियों से कुरेद दीवारें तोड़ रहा हूँ  जड़ों को गहराई में जमाना अब भी बाकी है  खुद को हद से आगे ले जाना अब भी बाकी है 

भगवान श्री कृष्ण को Happy Birthday

हर माँ के मुखसे निकले नाम नन्द के लाला का  माखन चोरी मटकी फोरी नागशीश वो नाचा था  ब्रिजकी धूल सनी जिससे और हुई पावन पवित्र  उस मोहन कृश्न कन्हैयाको जन्मदिवस शुभकारी हो  Add caption प्रेम कथाएं युगो युगों तक गाई जाती हो जिसकी  जिस संग रास खेलने को नारी रूप धरें शिवजी  राधे राधे में सिमटे जो रूकमणीके मनको भाए हों उस गोपीनाथ गोपाला को जन्मदिवस शुभकारी हो चाणूर पूतना कंस हते मधुसूदन कीव मुरारीने  केशी अरिस्ट निर्वाण किये यदुनंदन बांकेबिहारीने अघ शकट व्योमा-वत्सा दुष्टों को नाथने वाले हैं उस दामोदर गिरिधारी को जन्मदिवस शुभकारी हो ब्रम्हा और इन्द्र भी घूम गए जिसकी माया के चक्कर में मथुरा गोकुल या वृन्दावन है प्रेम मिला जिसे हर घर में  सांदीपनि आश्रममें साधा हो जिसको सोलह कलाओं ने  उस घनश्याम कुञ्ज बिहारी को जन्मदिवस शुभकारी हो मित्र अनोखे ऐसे की उनसा ना कोई मित्र हुआ दो लोक सुदामाको कच्चे चावल की भेंट दिया  नर को नारायण करने को पग पग जिसने संभाला था उस अर्जुनसखा चक्रधारी को जन्मदिवस शुभकारी हो शिशुपाल यवन जरासंध सभी जिसके आगे नतमस्तक हों व्यास...