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Showing posts from June, 2021

રેતી પર લખાયા નામ

સમયની સાથે સઘળાં ખોવાઈ જવાના  રેતી પર લખાયા નામ, ભૂંસાઈ જવાના  સાગરમાં એક ટીપાં જેવી હસ્તી આપણી  બે ઘડી તરંગો, પછી સાવ ભુલાઈ જવાના  હો પ્રકાશ ભલે નાનો, અંધારાને ઘટાડશે  પ્રેમથી કહેલા બે શબ્દો, દિલના દર્દ મટાડશે  રોજ સાંજે નવી વાટ પ્રગટાવવી જ રહી   રાત ના દીવા છે, સવારે ઓલવાઈ જવાના  પ્રશ્ન ઘણા જીવનમાં, જેનાં કોઈ ઉત્તર નથી  આજના દિવસથી ઉત્તમ, બીજો અવસર નથી  ભય ને ત્યાગો, ધ્યેય નું સદા ધ્યાન કરો  છુપાયેલા સફળતાનાં માર્ગ દેખાઈ જવાના 

आशा

पिछले वर्ष एक पौधा लगाया सूंदर फूल आएंगे ये सोच  कुछ ईश्वर को भेंट होंगे,  कुछ पत्नी, बच्चों को  नियमित पानी, खाद डालकर सींचा  रोज़ रोज़ बढ़ते देखते उसे  बसन्तमें रंग बदलने लगे  कलियों का निकलना,  फूलों का खिलना, जैसे  सारी उम्मीदें पूरी हो रही हों  अचानक एक तूफ़ान मुड़ा  समंदर से ज़मीन की और  बोहत देर तक पौधा जूझा  डंडियों और रस्सियोंका सहारा दिया  लेकिन  जड़ों से मिटटी के हाथ छूट गए  माली से फिर मंगवाया  उसी नस्ल का नया पौधा  नयी आशाओं से फिर लगाया  फिर सींचूंगा, खाद दूंगा  अगली बसंत के इंतज़ार में  आशा ये भी की अब की  आनेवाले तूफ़ानोंमें  अपने अपनों के हाथ ना छोड़ें 

इश्क़ केहते है

नज़रों से जो मिले नज़र तो इश्क़ केहते हैं  सीधा दिल पर हो असर तो इश्क़ केहते हैं  नहीं हैं वस्ल की मोहताज इश्क़ की दीवानगी  बिन पीये लड़खड़ाए अगर तो इश्क़ केहते है नाम सुन वो मुस्कुराये अगर, तो इश्क़ केहते है शर्मसे निगाहें ना मिलाये अगर, तो इश्क़ केहते है ज़रूरी नहीं की हर बात का ऐलान ज़ोरोंसे हो  चुप रहकर सब केह जाये अगर, तो इश्क़ केहते है