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Showing posts from January, 2024

नये साल बस यही दुआ चाहता हूँ

नये साल बस यही दुआ चाहता हूँ  दर्द हैं जो बन जाएँ दवा चाहता हूँ  जो किस्से जीये मगर दोहराये नहीं  अब शेरोंमें उनको कहा चाहता हूँ इक लड़की जो छोड़ चुकी शरारतें  फिरसे करे वो कोई खता चाहता हूँ  दो और दो का जोड़ पांच बनाने को  लबों से उसके होंठ छुआ चाहता हूँ  बात करके तुझसे अच्छा लगा दोस्त  बात यूँही करना रोज़ सखा चाहता हूँ मेरे कुछ ख्वाब प्रतीक्षामें हैं प्रयासके मैं उनका ये इंतज़ार मिटा चाहता हूँ  राज ज़ाहिर न हो जायें वक़्तसे पहले  ख्वाहिशों को खुदसे छिपा चाहता हूँ  फिर एक ख़याल घर कर चला मनमे  फिर उसे किताबमे लिखा चाहता हूँ  बस दिखा करे वो हररोज़ सुबहोशाम  आलावा इसके कुछ कहाँ चाहता हूँ  पहला दिन है नये साल का और मैं  राज नया आपको दिया चाहता हूँ