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Showing posts from December, 2022

तुम्हारा है

खेल रही यों ज़ुल्फोंसे, क्या इरादा तुम्हारा है  समझ रहा हूँ मैं सब, जो इशारा तुम्हारा है  मैं मान लूंगा सारी बातें, सोच कर कहना  अज़ाब है तुम पर, ख़सारा तुम्हारा है 

वहीँ हूँ मैं

आना हो जब, आ सकते हो, अब भी वहीँ हूँ मैं  दास्ताँ अपनी सुना सकते हो, अब भी वहीँ हूँ मैं  इक मुस्कान भर काफी है धड़कनें तेज़ करने को  जब चाहो ये सितम ढा सकते हो, अब भी वहीँ हूँ मैं  मुरझाये से शजर हो चले बिछड़े जबसे तुम औ हम  एक धक्केमे अब गिरा सकते हो, अब भी वहीँ हूँ मैं