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Showing posts from November, 2024

बेईमानी मोहब्बत में बस इतनी सी करते रहे हम

बेईमानी मोहब्बत में बस इतनी सी करते रहे हम  साथ चाहे किसीके भी हों, तेरे थे तेरे ही रहे हम  यूँ तो आवारा मुसाफिर सी गुज़ारी है जिंदगी लेकिन  अब भी तेरे घर के सामने की छत पर ठहरे रहे हम  तेरी झुल्फों तले बीतीं थी जो शामें हसीन